मिलिट्री मैन - कविता
पलक झपकते दौड़ गए थे|
घुटनो के बल रेंग गए थे||
भारत की माटी को हमने|
जीवन का श्रृंगार दिया||
सौगंध हमारी वतन मिट्टी की|
शब्दों का आह्लाद दिया||
दशक निवृत सेवा का आया|
जीवन ने कुछ सीख बनाया||
जीवन का रंग बदल न पाया|
अपनों के संग रह न पाया||
सौतेलेपन समय हमें जब|
झटका है, पल-पल क्षण-क्षण||
दशक चाकरी की वीरों सा|
पल-भर में क्यों अनदेख किया||
-मेनका सिन्हा