अलीया ही गलीया घुमे कोटवलबा - छठ के गीत २२
अलीया ही गलीया घुमे कोटवलबा।
बाबा के फरमाइस भेलइ जौड़े रे दऊरबा।
सेहे सुनी डोमबा के बेटबा तेजले परनमा।
कहमें से लवई माई हे जौड़े रे दऊरबा।
तोहरा के देबऊ रे डोमबा गोदी भरी बलकवा।
मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...
No comments:
Post a Comment