मेरी माँ से ऊपर एक माँ - कविता
ओ माँ मेरी माँ - ओ माँ मेरी माँ।
कही विराजे ज्वाला जी माँ, कही विराजे काली।
हाथों में हथियार लिए माँ दुष्टों से है बचाती॥
ओ माँ मेरी माँ - ओ माँ मेरी माँ।
कही खड़ी माँ चण्डी बनकर, कही बानी चामुण्डा।
कण - कण में है वास करे तू, भक्तों को है संभाला॥
ओ माँ मेरी माँ - ओ माँ मेरी माँ।
कही सजी माँ नैना बनकर, कही सजी माँ वैष्णो।
भक्तों की तू झोली भरती, देती है तू दुआएँ॥
ओ माँ मेरी माँ - ओ माँ मेरी माँ।
कही खड़ी माँ दुर्गा बनकर, कही बनी माँ लक्ष्मी।
भक्त पुकारे आर्त भाव से - हे माँ मुझे बचाओ॥
ओ माँ मेरी माँ - ओ माँ मेरी माँ।
- मेनका
- मेनका