हमारी जीवन गाथा - कविता - पार्ट २
पार्ट - २
जीवन का ये वृक्ष अनोखा,
कभी न रहता खाली|
शिक्षा को जीवन से जोड़े,
अपनों को अपने से जोड़े|
धरती माँ की गोद में देखो,
गंगा माँ का आँचल|
सच्चाई के पथ पर देखो,
स्वर्ग बना है सुन्दर|
कभी न रहता खाली|
शिक्षा को जीवन से जोड़े,
अपनों को अपने से जोड़े|
धरती माँ की गोद में देखो,
गंगा माँ का आँचल|
सच्चाई के पथ पर देखो,
स्वर्ग बना है सुन्दर|
जीवन के ये वृक्ष अनोखा,
कभी न रहता खाली|
शिक्षा के उन हर मोती को,
लेने की करो तैयारी|
शिक्षा को उन्मुक्त गगन में,
उड़ने की हो आज़ादी|
भारत के आज़ाद भूमि पर,
मत कर नाइंसाफी|
जीवन के ये वृक्ष अनोखा,
कभी न रहता खाली|
हम सब तो माँ के बच्चे है,
फिर क्यों करे बेईमानी|
बेईमानी के बेकार शब्द पर,
परत पड़ा चालाकी का|
चालाकी तो तेज़ दिमाग का,
बहुत बड़ा अनमोल रत्न है|
जीवन के ये वृक्ष अनोखा,
कभी न रहता खाली|
तेज़ दिमाग अनमोल रत्न से,
संकट को दूर भगाओ|
भारत माँ के गोद में हमसब,
मिलकर स्वर्ग बनाओ|
कर्मों का फल सबको मिलता,
कोई न रहता खाली|
- मेनका
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