Friday 20 October 2017

वंशोदय (१८ अगस्त) - कविता

वंशोदय (१८ अगस्त) - कविता


आज ही के दिन आकर, लाज रख दी वंश की|
पलक पॉवड़े बिछे हुए थे, आशा की परिभाषा लेकर||
काले अंधेरे बादलों में, आ गया तू चाँद बनकर|
आज ही के दिन आकर, लाज दी राखी की||
आधी-अधूरी गोद को, कर दिया सम्पूर्ण तूने|
 इशारे  समझता, दूर रहकर पास है तू||
 दिल की धड़कन में है बसता सांस की आवाज़ है तू|

आज ही के दिन आकर, लाज रख दी वंश की|
वंश का वैभव संभाले सूर्यवंश का लाल है तू||
डैड  मुकुट बनकर,  सरताज बन तू|
कलाम की आवाज़ सून, आवाम को पहचान तू||
 कुछ कर गुजरने की तमन्ना, सर सांस में आवाज़ दे|
माँ की गरिमा की लाज रखना, बुलंदियों को कर नमन||
ग़द्दारियों से दूर रहकर, अपने मिशन को कर पूरा|

आज ही के दिन आकर, लाज रख दी वंश की|
धर्म का दामन पकड़ तू, जात-पात में न उलझ||
शान बन तू देश का, गौरव परिवार का|
जन्मोत्सव और रक्षा बंधन का, ये अद्भुत मिलन है||
सपनों  ताज  खुशियों की परिभाषा की ये अनमोल घड़ी है|
रविवार दिनकर के दिन तुम, आशाओं की किरणें लेकर||
रविवार छुट्टी  तुम, आय हम सबके जीवन में|
पापा  छुट्टी को तुमने, सार्थक करके खुशियाँ लाय||
आज ही के दिन आकर, लाज रख दी वंश की| 

- मेनका

Thursday 19 October 2017

जय श्री वैष्णो धाम - कविता

जय श्री वैष्णो धाम

वैष्णो देवी, कटरा
फैमिली वाली फीलिंग है वह दिलाती - फैमिली ...|
कर्मों की खाता संभाले मेरी माता। ... कर्मों की ... वैष्णो माता|
मानव जीवन की जज मेरी माता - मानव ... वैष्णो माता|
दुष्टों की धोखा कभी भी न सहती - दुष्टों ... वैष्णो माता|
चोरों को देती पनिशमेंट मेरी माता - चोरों ... वैष्णो माता|
फैमिली वाली फीलिंग है वो दिलाती - फैमिली ...|


भक्तों की झोली भरे मेरी माता - भक्तों ... वैष्णो माता|
करती है कृपा वो भक्तों पर दिल से - करती है  ... |
हमारी भावों को सदा वो समझती - हमारी  ... |
रहती सदा वो साथ मेरी माता - रहती  ... वैष्णो माता|
फैमिली वाली फीलिंग है वो दिलाती - फैमिली ...|

जीवन की नइया और मइया खेवैया - जीवन ... |
मइया खेवैया तो डर काहे भइया - मइया ... भइया|
माँ के चरण में है संसार मेरा - माँ के चरण ... मेरा|
धर्मों के वेला में हुआ है सवेरा - धर्मों के ... सवेरा|
फैमिली वाली फीलिंग है वो दिलाती - फैमिली ... |


सारे रिश्तों का मूल मेरी माता - सारे  ... वैष्णो माता|
सारे धर्मों का जड़ सच्चाई - सारे ... सच्चाई|
सारे धर्मों का जड़ ईमानदारी - सारे ... ईमानदारी|
धर्मों की नींव पर माँ का मंदिर - धर्मों ... मंदिर|
फैमिली वाली फीलिंग है वो दिलाती - फैमिली ... |

रहती सदा मेहरबान मेरी माता - रहती ... वैष्णो माता|
हर कष्टों का इलाज मेरी माता - हर ... वैष्णो माता|
हर खुशियों का है द्वार मेरी माता - हर ... वैष्णो माता|
हर क्षण पलों की महसूस मेरी माता ... वैष्णो माता|
फैमिली वाली फीलिंग है वो दिलाती - फैमिली ... |
हर क्षण है रखती ख्याल मेरी माता - हर क्षण ...  वैष्णो माता|
रखती है हर पल ध्यान मेरी माता ...  वैष्णो माता|


Wednesday 18 October 2017

गोदांजाली (२४ जुलाई) - कविता

गोदांजाली (२४ जुलाई) - कविता



मेरी ममता के आँचल को सजाया तूने|
मेरी ज़िन्दगी की दशा को दिशा दिया तूने||
मेरे सुने गोद को हरा-भरा किया तूने|
पापा के आने की हर आहट को महसूस किया तूने||
अपने हर निवाले पर पापा को मिस किया तूने|
हमारे सूखे रेगिस्तान में वर्षा की फूहार है तू||
हमारे सूने घर में रौशनी बनकर आई तू|
हमारे रसोई की हर स्वाद और खुशबु है तू||
हमारी ज़िन्दगी के फूलों की पंखुड़ी है तू|
भाई के जीवन की सम्पूर्णता है तू||
हमारे हर त्यौहार की सजावट है तू|
हमारे अतीत की जान और प्राण है तू||
हमारे बीते हुए कल की धरोहर है तू|
अपने भाई के जीवन का राग है तू||
हमारे हर परेशानी का इलाज है तू|
भाई के जीवन की आशा है तू||
पापा के जीवन की परिभाषा है तू|
मेरे विचारों का कोरा कागज़ है तू||
मेरे हर गुत्थियों की सुलझन है तू|
हमारे का वो हर सुझाव है तू||
हमारे जीवन की रहस्यमयी किताब है तू|
हमारे गरिमा की नाक है तू||
हमारे परिवार की संस्कृति है तू|
पापा के जीवन का ख्वाब है तू||

- मेनका

Tuesday 17 October 2017

जीने की उत्कण्ठा - कविता

जीने की उत्कण्ठा - कविता



अजब हलचल सी मन में है, समझ में कुछ नहीं आता|
अजब सा ख्वाब खुशियों का, नाकारा ही नहीं जाता||
जिसे अपना समझती थी, वो गैरों से कही बढ़कर|
किसे अपना बनाऊ मैं, बता दे हे मेरे रघुबर||
सदा अपनों के दिल में ही, तुझे समझा मैं करती थी|
सदा अपनों में पा करके, मैं पूजा ही तोह करती थी||
प्रभु के प्यार के खातिर, जीना ही था मेरा मकसद|
प्रभु का हर वचन हरदम, हमारी कोशिशें जारी||
हमारा कर्म ही पूजा, इसी का ध्यान है रखा|
दरस दे ही मेरे रघुबर, परीक्षा अब न ले मेरी||

अजब हलचल सी मन में है, समझ में कुछ नहीं आता|
अजब सा ख्वाब खुशियों का, नाकारा ही नहीं जाता||
दशा इस दीन का आकर, दिशा दो हे मेरे रघुबर|
हमारी चूक हमसे ही, बता दे हे मेरे रघुबर||
मुझे लोगों के उलझन में, तो जीना ही नहीं आता|
मेरे सपनों में आकर के, मुझे जीना सिखा दे माँ||
मेरे जीवन की नौका को लगा दे, पार हे रघुबर|
मेरे औचित्य जीवन का बता दे, हे मेरे रघुबर||
मुझे सीधा सरल जीना, मेरे दिल को बहुत भाता|
गज़ब हलचल सी मन में है, समझ में कुछ नहीं आता||
गज़ब सा ख्वाब खुशियों का, नाकारा ही नहीं जाता|

- मेनका

छठ पूजा - गीत

छठ पूजा - गीत


केही देल सोने के सिंघोरबा, केही देल लाल सिंदूर|
केही देल हरे-हरे ईंखबा, केही देल हथिया कुरबार|
केही देल फूलबा के मलबा, केही देल पाकल पान|
सोनरा देल सोने के सिंघोरबा, सिंदुरिया देल लाल सिंदूर|
कोइरी देल हरे-हरे ईंखबा, कुम्हरा देल हथीया क़ुरबार|
मलीया देल फूलबा के मलबा, पनहेरी देल पाकल पान|
टूटी गेल सोने के सिंघोरबा, गिरी गेल लाल सिंदूर|
सुखी गेल हरे-हरे ईंखबा, टूटी गेल हथीया क़ुरबार|
टूटी गेल फूलबा के मलबा, सुखी गेल पाकल पान|
रूठी गेलन छठी माई परमेश्वरि, कइसे अरग दिलायब|
किनी लेब सोने के सिंघोरबा, किनी लेब लाल सिंदूर|
काटी लेब हरे-हरे ईंखबा, किनी लेब हथीया क़ुरबार|
गुँथी लेब फूलबा के मलबा, तोरी लेब पाकल पान|
बाँधी लेब पीअरी ओ, चनमा अइसे अरग दिलायब|
जलाए लेब चौमुख दीअरा, ऐसे अरग दिलायब|
मनाये लेब छठी माई परमेश्वरि, अइसे अरग दिलायब|

- मेनका

Sunday 15 October 2017

मन मोहन सांवरिया - कविता

मन मोहन सांवरिया - कविता


कहाँ जा छूपे हो मेरे वंशी वजैया|
वंशी वजैया मेरे कृष्ण कन्हैया||
दरस दिखा जा मेरे नाग नथैया|
आ जाओ मेरे प्रभू यशोदा दुलारे||
राक्षस का माखन प्रभू ग्वाला खिवैया|
अब न सताओ प्रभू दरस दिखाजा||
मेरे मन मोहन प्रभू रास रचैया|


कहाँ जा छूपे हो मेरे वंशी वजैया|
मेरी दुर्दशा प्रभू आकर मिटा दे||
मेरी सब बिगड़ी को आकर सुधारो|
रथ के हँकैया प्रभू जल्दी से आ जा||
लाज बचैया प्रभू चीर बढैया|
बिगड़ी बनैया प्रभू मुक्ति दिलैया||
देवकी नन्दन प्रभू नंद के प्यारे|
कहाँ जा छुपे हो प्रभु कृष्ण कन्हैया||

- मेनका

मिलिट्री मैन - कविता

मिलिट्री मैन - कविता दशक चाकरी की वीरों सा| पल-भर में क्यों अनदेख किया|| पलक झपकते दौड़ गए थे| घुटनो के बल रेंग गए थे|| भारत की माटी को हमने|...