बेटी का संदेश - मायके के नाम - कविता
पले बढे हम जिस धरती पर
याद बहुत आती है भइया
अगर अकेली मैं पड़ जाऊँ
बातों से साथ निभाना भइया
नहीं चाहिए खाना कपडा
भाभी को समझाना भइया
बच्चों को समझाना भइया
अपनी बात बताना भइया
पले बढे हम जिस धरती पर
याद बहुत आती है भइया
समय भले तुम न दे पाओ
हिस्से की रोटी खा जाओ
नही चाहिए छप्पन व्यंजन
भावों की भूखी हूँ भइया
बहन बानी बाँधी मैं राखी
दिल में जगह बनाये रखना
दिल में जगह बनाये रखना
पले बढे हम जिस धरती पर
याद बहुत आती है भइया
याद बहुत आती है भइया
कौल भले ही न कर पाओ
फ़ोन उठा तुम लेना भइया
ममता से है बना मायका
पिता छाँव का गहरा रिश्ता
भाभी तोह भावों की कुंजी
मेरी बात बताना भइया
पले बढे हम जिस धरती पर
याद बहुत आती है भइया
ब्रत एकादशी के दिन आऊँगी
खाली हाथ नहीं आऊँगी
कहाँ से लाऊँ हीरे-मोती
करूँ मांग में सबकी पूरी
अनजाने की गलती भाभी
मुझे बता तुम देना भइया
- मेनका
No comments:
Post a Comment